Saturday, March 14, 2009

लालू के घर में प्रत्याशी पर असमंजस, हाल गोपालगंज सुरक्षित सीट का

वर्तमान लोकसभा चुनाव में नए परिसीमन के बाद कई सीटें इस बार आरक्षित हो गई है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का गृह जिला गोपालगंज भी इसमें शामिल है। पिछले लोकसभा चुनावों में लालू यादव के साले साधु यादव यहां से राजद सांसद थे। मगर, परिसीमन के बाद प्रत्याशियों को लेकर प्रमुख दलों के सामने असमंजस की स्थिति है। कारण, स्थानीय स्तर पर इनके पास कोई बड़ा दलित नेता नहीं है। चर्चा है कि यहां से बाहर के किसी बड़े नेता को चुनाव लड़ाया जाएगा। पिछले दिनों रामविलास की पत्नी के भी यहां से चुनाव लड़ने की चर्चा थी। मगर, शुक्रवार को सीटों का बंटवारा होने के बाद यूपीए से यह सीट राजद को गई है जबकि राजग से यह जद(यू) के खाते में आई है। कयास है कि राजद यहां से रमई राम को टिकट दे सकता है जबकि राजग गठबंधन से मुनिलाल के नाम की चर्चा जोरों पर है। दोनों प्रमुख पार्टियां इस फिराक में हैं कि एक अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा करें तो दूसरा् उसी के अनुसार अपना प्रत्याशी खड़ा करे।
पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा प्रमुख मायावती गोपालगंज का दौरा कर चुकी हैं। उस दौरान जुटी एतिहासिक भीड़ के कारण भी अन्य पार्टियों के नेता चौकन्नें हैं। बसपा पहले ही जनक चमार को अपना प्रत्याशी घोषित कर चुकी है और उन्होनें चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया है। इधर, सपा भी इस सीट पर अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है। पार्टी की ओर से नागा राम का नाम सामने आ रहा है। नागा राम बिहार इंटरमीडिएट काउंसिल, पटना में सचिव रह चुके हैं। वह नेता तो नहीं है मगर गोपालगंज में वह एक जाना पहचाना नाम हैं। सपा ने अपना दलित प्रेम दिखाते हुए उन्हें पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष भी बना दिया है। लेकिन, इन सबके बीच यहां के स्थानीय दलित नेता संतुष्ट नहीं हैं। आम चर्चा है कि "बिल्ली के भाग से छिका फूटा" भी तो उसे दूसरे जगह के नेता लपकने के लिए तैयार हैं।

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